Ravan Aur Mata Sita K Ansune Rahasya

ll रावण माता सीता को क्यों नहीं छुपाया ll


नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे एमएस स्टोरी चैनल पर आइए जानते हैं रावण ने सीता माता का हरण किस कारण और किस वजह से किया था सही कारण हर किसी को नहीं पता तो आइए जानते हैं हम इस अपनी श्री रामायण के आधार पर सूचित करी हुई जानकारी से चलिए आप सभी का स्वागत है और कमेंट में जय श्री राम और सीता माता की जय जरूर लिखें जानिए रावण ने सीता का हरण क्यों और कैसे किया था सीता हरण आप सभी जानते होंगे रावण ने सीता का हरण किया था पर क्या आप यह जानते हैं रावण ने सीता का हरण कैसे किया था और क्यों किया था आज हम आपको बताएंगे सीता का 


हरण क्यों किया था रावण ने किस प्रकार किया सीता का हरण रावण ने सीता का हरण क्यों किया सीता का हरण अपनी बहन शूर्पनखा का बदला लेने के लिए रावण ने किया था शूर्पनखा अपने विवाह का प्रस्ताव लेकर राम के पास गई राम के मना करने पर शूर्पनखा विवाह का प्रस्ताव लेकर लक्ष्मण के पास गई लक्ष्मण ने भी इस प्रस्ताव से इंकार कर दिया तब शूर्पनखा क्रोधित हो गई 


बदला लेने के लिए सीता के पास पहुंची सीता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की यह जब लक्ष्मण ने देखा तब लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक को काट दिया था शूर्पणखा ने यह अपमान सहन नहीं हुआ यह बात शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को बता दी इसी वजह से रावण ने किया सीता का हरण रावण ने सीता हरण कैसे किया सीता हरण से पहले रावण सीता मां की जासूसी कर रहा था एक दिन रावण ने एक तरीके से लक्ष्मण और राम को सीता से दूर कर दिया तब लक्ष्मण ने कुटिया के चारों ओर एक घेरा बनाया जिसे लक्ष्मण रेखा खा जाता है लक्ष्मण ने सीता मां से निवेदन किया कि वह इस घेरे से बाहर ना निकले जब रावण ने राम और लक्ष्मण को सीता से दूर जाते देखा तब रावण ने चतुराई से एक बूढ़े भिखारी का रूप 


धर लिया सीता से भिक्षा मांगने लगा सीता को बूढ़े भिखारी पर दया आ गई सीता भिक्षा देने के लिए लक्ष्मण द्वारा बनाए हुए घेरे से बाहर निकल गई बूढ़े भिखारी के रूप में रावण ने सीता को उठ उठक अपने जादुई रथ में लेकर जाने लगा सीता बहुत रोई और मदद के लिए पुकारने लगी सीता की मदद के लिए पक्षी जटायु आए रावण को रोकने लगे लेकिन रावण ने अपनी तलवार से जटायु के पंख को काट दिया रावण सीता को उठाकर अपनी लंका में ले गया सीता को कैद कर दिया इस तरह रावण ने


 किया सीता का हरण रावण ने क्यों नहीं छुआ था सीता को जानिए भगवान राम की अर्धांगिनी मां सीता का पंचवटी के पास लंकाधिपति रावण ने अपहरण करके दो वर्ष तक अपनी में रखा था लेकिन इस कैद के दौरान रावण ने माता सीता को छुआ तक नहीं था तो ऐसा क्या कारण था कि रावण ने सीता माता को छुआ तक नहीं क्या माता सीता में सतीत्व की शक्ति थी या कि रावण डरता था 


भगवान राम से कहीं ऐसा तो नहीं कि रावण ने कोई वचन धारण कर रखा हो या वह किसी शाप से बंधा हो रावण जब सीता के पास विवाह प्रस्ताव लेकर गया तो माता ने घास के एक टुकड़े को अपने और रावण के बीच रखा और कहा हे रावण सूरज और किरण की तरह राम सीता अभिन्न है राम व लक्ष्मण की अनुपस्थिति में मेरा अपहरण कर तुमने अपनी कायरता का परिचय और राक्षस जाति के विनाश को आमंत्रित कर दिया है तुम्हारे को श्री राम जी की शरण में जाना इस विनाश से बचने का एकमात्र उपाय है 


अन्यथा लंका का विनाश निश्चित है सीता माता की इस बात से निराश रावण ने राम को लंका आकर सीता को मुक्त करने को दो माह की अवधि दी इसके बाद रावण या तो सीता से विवाह करेगा या उसका अंत रावण ने सीता को हर तरह के प्रलोभन दिए कि वह उसकी पत्नी बन जाए य वह ऐसा करती है तो वह अपनी सभी पत्नियों को उसकी दासी बना देगा और उसे लंका की राजरानी लेकिन सीता माता रावण के किसी भी तरह के प्रलोभन में नहीं आई तब रावण ने सीता को जान से मारने की धमकी दी लेकिन


 यह धमकी भी काम नहीं कर पाए रावण चाहता तो सीता के साथ जोर जबरदस्ती कर सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया आखिर इसके क्या कारण थे जानेंगे अगले पन्नों पर अगले पन्ने पर सीता का अपहरण क्यों किया रावण ने राम के भाई लक्ष्मण ने रावण की बहन शूर खा की नाक काट दी थी पंचवटी में लक्ष्मण से अपमानित शूर्पणखा ने अपने भाई रावण से अपनी व्यथा सुनाई और उसके कान भरते कहा 


सीता अत्यंत सुंदर है और वह तुम्हारी पत्नी बनने के सर्वथा योग्य है तब रावण ने अपने मामा मारीच के साथ मिलकर सीता अपहरण की योजना रची इसके अनुसार मारीच का सोने के हिरण का रूप धारण करके राम व लक्ष्मण को वन में ले जाने और उनकी अनुपस्थिति में रावण द्वारा सीता का अपहरण करने की योजना थी इस पर जब राम हिरण के पीछे वन में चले गए तब लक्ष्मण सीता के पास थे


 लेकिन बहुत देर होने के बाद भी जब राम नहीं आए तो सीता माता को चिंता होने लगी तब उन्होंने लक्ष्मण को भेजा राम और लक्ष्मण की अनुपस्थिति में रावण सीता का अपहरण करके ले उड़ा अपहरण के बाद आकाश मार्ग से जाते समय पक्षीराज जटायु के रोकने पर रावण ने उसके पंख काट दिए रावण ने सीता को लंका नगरी के अशोक वाटिका में रखा और त्रिजटा के नेतृत्व में कुछ राक्षस हों को उसकी देखरेख का भार दिया रावण की मृत्यु का कारण क्यों बनी सीता अगले पन्ने पर सिर्फ सीता के अपहरण


 के कारण ही राम के हाथों रावण की मृत्यु हुई थी यह उस समय की बात है जब भगवान शिव से वरदान और शक्तिशाली खडग पाने के बाद रावण और भी अधिक अहंकार से भर गया था वह पृथ्वी से भ्रमण करता हुआ हिमालय के घने जंगलों में जा पहुंचा वहां उसने एक रूपवती कन्या को तपस्या में लीन देखा कन्या के रूप रंग के आगे रावण का राक्षसी रूप जाग उठा और उसने उस कन्या की तपस्या भन करते हुए उसका परिचय जानना चाहा काम वासना से भरे रावण के अचंभित करने वाले प्रश्नों को सुनकर उस कन्या ने अपना परिचय देते हुए रावण से कहा कि हे राक्षस राज मेरा नाम वेदवती है मैं परम तेजस्वी महर्षि कुष ध्वज की पुत्री हूं मेरे वयस्क होने पर देवता गंधर्व यक्ष राक्षस नाग सभी मुझसे विवाह करना चाहते थे लेकिन मेरे पिता की इच्छा थी कि समस्त देवताओं के स्वामी श्री विष्णु ही मेरे पति बने मेरे पिता की उस 


इच्छा से क्रुद होकर शंभू नामक दैत्य ने सोते समय मेरे पिता की हत्या कर दी और मेरी माता ने भी पिता के वियोग में उनकी जलती पिता में कूदकर अपनी जान दे दी इसी वजह से यहां मैं अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए इस तपस्या को कर रही हूं इतना कहने के बाद उस सुंदरी ने रावण को यह भी कह दिया कि मैं अपने तप के बल पर आपकी गलत इच्छा को जान गई हूं इतना सुनते ही रावण क्रोध से भर गया और अपने दोनों हाथों से उस कन्या के बाल पकड़कर उसे अपनी ओर खींचने लगा इससे क्रोधित होकर अपने अपमान की पीड़ा की वजह से वह कन्या दशानन को यह शाप देते हुए अग्नि में समा गई कि मैं तुम्हारे वध के लिए फिर से किसी धर्मात्मा पुरुष की पुत्री के रूप में जन्म लूंगी महान ग्रंथों में शामिल दुर्लभ रावण संहिता में उल्लेख मिलता है कि दूसरे जन्म में वही तपस्वी कन्या एक सुंदर कमल से उत्पन्न हुई और जिसकी 


संपूर्ण काया कमल के समान थी इस जन्म में भी रावण ने फिर से उस कन्या को अपने बल के दम पर प्राप्त करना चाहा और उस कन्या को लेकर वह अपने महल में जा पहुंचा जहां ज्योतिषियों ने उस कन्या को देखकर रावण को यह कहा कि यदि यह कन्या इस महल में रही तो अवश्य ही आपकी मौत का कारण बनेगी यह सुनकर रावण ने उसे समुद्र में फिंक वा दिया तब वह कन्या पृथ्वी पर पहुंचकर राजा जनक के हल जोते जाने पर उनकी पुत्री बनकर फिर से प्रकट हुई मान्यता है कि बिहार स्थिति सीतामरी का पुनर गांव वह स्थान है जहां राजा जनक ने हल चलाया था शास्त्रों के अनुसार कन्या का यही रूप सीता बनकर रामायण में रावण के वध का कारण बना क्या सीता रावण की बेटी थी अगले पन्ने पर अद्भुत रामायण में उल्लेख है कि रावण कहता है कि जब मैं भूलवश अपनी पुत्री से प्रण्य की इच्छा करूं तब वही मेरी मृत्यु का कारण बने रावण के इस कथन से ज्ञात होता है कि सीता रावण की पुत्री थी अद्भुत रामायण में उल्लेख है कि गृत्त नामक ब्राह्मण लक्ष्मी को पुत्री रूप में पाने की कामना से प्रतिदिन एक कलश में कुश के अग्रभाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूंदे डालता था एक दिन जब ब्राह्मण कहीं बाहर गया था तब रावण इनकी कुटिया में आया और यहां मौजूद ऋषियों को मारकर उनका रक्त कलश में भर लिया यह कलश लाकर रावण ने मंदोदरी को सौंप दिया 


रावण ने कहा कि यह तेज विष है इसे छुपाकर रख दो मंदोदरी रावण की अपेक्षा से दुखी थी एक दिन जब रावण बाहर गया था तब मौका देखकर मंदोदरी ने कलश में रखा रख पी लिया इसके पीने से मंदोदरी गर्भवती हो गई लोक लाज के दर से मंदोदरी अपनी पुत्री को कलश में रखकर उस स्थान पर छुपा गई जहां से जनक ने उसे प्राप्त किया सीता के संदर्भ में एक अन्य कथा वेदवती नाम की स्त्री से संबंधित है वेदवती से जुड़ी कहानी हम पहले बता चुके हैं अगले पन्ने पर इसलिए सीता माता को नहीं छूता था रावण त्रिजटा नाम की राक्षसी को रावण ने सीता की रक्षा के लिए अशोक वाटिका में राक्षस नियों की हेट बनाकर रखा था सभी राक्षस निया सीता माता को डराती रहती थी और रावण से विवाह करने के लिए उकसा रहती थी लेकिन त्रिजटा धर्म को जानने वाली और प्रिय वचन बोलने वाली थी त्रिजटा ने सीता को सात वना देते हुए कहा कि सखी 

तुम चिंता मत करो यहां एक श्रेष्ठ राक्षस रहता है जिसका नाम अविंद्र है उसने तुमसे कहने के लिए यह संदेश दिया है कि तुम्हारे स्वामी भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ कुशल पूर्वक है वे अत्यंत शक्तिशाली वनराज सुग्रीव के साथ मित्रता करके तुम्हें छुड़वाने की कोशिश कर रहे हैं त्रिजटा ने सीता को एक राज की बात और बताई ये कि तुम्हें रावण से नहीं डरना चाहिए क्योंकि रावण ने कुबेर के पुत्र नल कुबेर की पत्नी अप्सरा रम्मा को काम वासना से छुआ था तो रम्मा ने क्रोधित होकर रावण को शाप दिया कि 


वह किसी पराई स्त्री के साथ उसकी इच्छा बिना संबंध नहीं बना पाएगा और अगर ऐसा किया तो वह भस्म हो जाएगा अन्य जगहों पर उल्लेख मिलता है कि रावण ने रम्मा के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया था जिसके चलते रम्मा ने उसे यह शाप दिया था रम्मा कुबेर के पुत्र नलकुबेर के साथ पत्नी की तरह रहती थी रम्मा नलकुबेर के संबंध को लेकर रावण अक्सर उपहास उड़ाया करता था इसी शाप के भय से रावण ने सीताहर के बाद सीता को छुआ तक नहीं था धन्यवाद सभी दोस्तों को तो आप सभी ने 

यह कहानी पूरी सुनी है तो आप सभी इतने बहुत ही रोचक कहानी समझी और सुनी होगी और यह कहानी आपको अच्छी लगी हो तो तो आप इन अपने बच्चों को अपने दोस्तों को मित्रों को सभी को शेयर जरूर करें और कमेंट में जय श्री राम सीता माता की जय जरूर लिखें और ऐसी ही कहानी सुनाने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें बिना ना जाए धन्यवाद 

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