भगवान शिव ने बताए हैं मृत्यु के ये 4 संकेत 🕉️






भगवान शिव ने बताए हैं मृत्यु के यह चार संकेत आइए जानते हैं आखिरकार कौन से हैं वह संकेत ऐसी ही हिंदू धर्म की जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे एमएस स्टोरी चैनल को सब्सक्राइब अवश्य करें और कमेंट में हर हर महादेव लिखना ना भूले महादेव की कृपा आप सभी पर सदैव ऐसी ही बरसती रहेगी आए शुरू करते हैं सूरज की किरणें अभी-अभी शिव मंदिर के विशाल द्वारों पर पड़नी शुरू ही हुई थी गांव के पुजारी जी हर दिन की तरह सुबह-सुबह शिवलिंग का अभिषेक कर रहे थे तभी मंदिर के बाहर कुछ हलचल हुई पंडित रघुनाथ जी की आवाज भारी हो चुकी थी और उनके चेहरे पर एक अनजान डर के भाव
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 थे उनके पास बैठा रमाकांत जो गांव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता था घबराते हुए बोला पंडित जी आपने सुना है शिव पुराण में भगवान शिव ने मृत्यु के चार संकेत बताए हैं पंडित जी ने अपनी आंखें बंद कर ली और धीमे स्वर में कहा हां बेटे चार संकेत जिनकी अवहेलना कभी नहीं करनी चाहिए पहला संकेत होता है शरीर के दाई ओर के अंगों का अचानक फड़कना रमाकांत की आंखें चौड़ी हो गई क्या यह तो बहुत ही भयानक है पंडित जी ने उसकी बात पर ध्यान दिए बिना अपनी बात जारी रखी दूसरा संकेत 


सपनों में किसी काले सर्प का दिखना जो चेतावनी देता है कि मृत्यु निकट है रमाकांत का चेहरा पीला पड़ गया उसे याद आया कि कुछ दिनों पहले ही उसने सपने में एक काले सर्प को देखा था उसकी आवाज कांप उठी पंडित जी तो क्या यह मेरे लिए पंडित जी ने उसे बीच में टोक हुए कहा तीसरा संकेत जब कोई इंसान हर समय अकेलापन महसूस करने लगे और उसे लगने लगे कि उसके चारों ओर सन्नाटा है वह सन्नाटा मृत्यु का संकेत है रमाकांत ने कांपते हुए कहा पंडित जी चौथा क्या है पंडित जी की आंखों में गहरी उदासी छा गई उन्होंने धीमी आवाज में कहा चौथा और सबसे स्पष्ट संकेत जब कोई व्यक्ति खुद को परछाई में 


नहीं देख पाता यह सबसे स्पष्ट इशारा होता है कि यमराज उसकी आत्मा को बुलावा भेज चुके हैं रमाकांत चुप था उसकी आंखों में डर की परछाई स्पष्ट रूप से दिख रही थी तभी मंदिर की घंटी जोर से बजी मानो शिवजी खुद उसे इस सच्चाई की गहराई समझाने के लिए कह रहे हो पंडित जी ने उसकी ओ देखा और कहा रमाकांत मृत्यु जीवन का अंत नहीं एक यात्रा की शुरुआत है यदि यह संकेत दिखें तो शिवजी के चरणों में समर्पण कर दो क्योंकि केवल वही इस भय से मुक्ति दे सकते हैं रमाकांत की आंखों से आंसू बह निकले उसने शिवलिंग के सामने सिर झुका दिया और धीरे-धीरे सब कुछ शांत हो गया मंदिर में बस शिवजी की कृपा की अनुभूति थी रमाकांत के मन में अब तक कई सवाल उठ रहे थे लेकिन पंडित जी के शब्दों ने ने उसके हृदय को 


शांत कर दिया था जैसे ही वह मंदिर के बाहर निकला हवा में हल्की सी ठंडक महसूस होने लगी पेड़ों की पत्तियां मानो उसके कानों में [संगीत] फुसफुसाना कांत ने गहरी नींद में फिर वही काला सर्प देखा इस बार सर्प उसके पास नहीं आया बल्कि दूर खड़ा बस उसे देख रहा था रमाकांत का दिल तेजी से धड़कने लगा पर उसने हिम्मत जुटाई और बोला मैं नहीं रूंगा शिवजी मेरे साथ हैं अचानक सर्प गायब हो गया और उसकी जगह भगवान शिव प्रकट हुए उनका तेजस्वी रूप देख रमाकांत की आंखें खुशी से भर


 गई शिवजी ने कहा रमाकांत मृत्यु का डर तुझे नहीं बल्कि तेरी आत्मा को जगाने के लिए है जो जानता है वही भय से मुक्त होता है रमाकांत का चेहरा चमक उठा प्रभु तो क्या मृत्यु मेरे करीब है शिवजी मुस्कुराए हर किसी की मृत्यु तय है पर तुझे डरने की आवश्यकता नहीं तूने इन संकेतों को समझा अब इसे अपने जीवन की सच्चाई मान ले और पुण्य के मार्ग पर चल जो अपने कर्मों में सच्चाई और भक्ति रखता है वह मृत्यु से परे जाता है रमाकांत शिवजी के चरणों में गिर पड़ा हे महादेव मैं आपके दिखाए मार्ग पर चलने का वचन देता हूं सुबह हुई रमाकांत ने मंदिर जाकर पंडित जी को पूरी घटना सुनाई पंडित जी ने उसकी बात ध्यान से सुनी


 और बोले रमाकांत भगवान शिव ने तुझे संकेत दे दिया है अब तुझे अपने जीवन में धर्म और सत्य का पालन करना होगा याद रख यह संकेत मृत्यु का डर नहीं बल्कि एक नई शुरुआत का संदेश है रमाकांत ने पंडित जी के चरणों में झुकते हुए कहा पंडित जी मैं अब कोई भी पल व्यर्थ नहीं जाने दूंगा हर पल शिवजी की सेवा में लगाऊंगा और लोगों की भलाई के लिए कार्य करूंगा उसके चेहरे पर अब भय नहीं था बल्कि एक नई ऊर्जा और विश्वास झलक रहा था शिव मंदिर के पास के पेड़ों की पत्तियां अब हवा के साथ नहीं 


बल्कि रमाकांत के संकल्प की शक्ति से झूम रही थी रमाकांत का संकल्प अब उसकी जिंदगी का पद बन गया था वह रोज सुबह शिवलिंग के सामने बैठकर ध्यान करता शिवजी के मंत्रों का जाप करता और गांव के लोगों की भलाई के कामों में जुट गया वह हमेशा मंदिर के बाहर आने वाले हर भक्त से मुस्कुरा करर मिलता उनके दुख दर्द को सुनता और उन्हें शिवजी की महिमा का महत्व समझाता धीरे-धीरे गांव के लोग भी रमाकांत के बदले हुए स्वभाव को देखकर प्रेरित होने लगे एक दिन गांव में एक बूढ़ा आदमी आया जो बहुत परेशान और असहाय था उसकी आंखों में आंसू थे और हाथ कांप रहे थे उसने रमाकांत से कहा बेटा मेरी जिंदगी में अब कोई राह नहीं बची है मैं बहुत बीमार हूं और मेरे पास अब बस कुछ ही दिन बचे हैं रमाकांत ने उसके कंधे पर 


हाथ रखा और उसे मंदिर के अंदर ले गया वह शिवलिंग के सामने बैठकर बोला बाबा भगवान शिव ने हमें यह जीवन दिया है और जब तक यह है हमें अपनी भक्ति और सेवा से इसे सार्थक बनाना चाहिए शिवजी के चरणों में अपना दुख समर्पित कर दो वह हर दर्द को शांति में बदल देंगे बूढ़े आदमी की आंखों से आंसू झरने लगे पर उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान उभर आए उसने धीरे-धीरे शिवलिंग के सामने सिर झुका दिया और मन्नत मांगी कुछ ही दिनों में रमाकांत की सेवा भावना के चर्चे दूर दूर तक फैल


 गए हर रोज कई लोग अपनी समस्याए लेकर रमाकांत के पास आते और वह उन्हें धैर्य पूर्वक सुनता उनका मनोबल बढ़ाता लोगों का विश्वास था कि शिवजी के इस सेवक का स्पर्श मानो खुद महादेव का आशीर्वाद हो एक दिन पंडित रघुनाथ जी ने रमाकांत को बुलाया और कहा बेटा शिवजी के चार संकेतों ने तेरी जिंदगी बदल दी है तूने ना केवल मृत्यु के भय को समझा बल्कि अपने कर्मों से इस भय का समाधान भी पा लिया है अब तुझे यह ज्ञान और अनुभव दूसरों के साथ भी बांटना होगा रमाकांत ने हाथ जोड़कर कहा पंडित जी मैं हमेशा शिवजी की कृपा का आभारी रहूंगा उन्होंने मुझे र से बाहर निकाला और मुझे सेवा का सच्चा


 मार्ग दिखाया अब मेरा जीवन शिवजी की भक्ति और लोगों की भलाई के लिए समर्पित है पंडित जी ने मुस्कुराते हुए कहा यही शिवजी का असली आशीर्वाद है मृत्यु के संकेत केवल हमें चेतानी के लिए नहीं नहीं बल्कि जीवन की वास्तविकता से रूबरू कराने के लिए होते हैं उसके बाद रमाकांत ने गांव में एक शिवालय बनवाने का प्रण लिया जहां हर व्यक्ति निदर होकर अपनी परेशानियों को शिवजी के चरणों में रख सके उसका विश्वास था कि जीवन में शिवजी की भक्ति और सेवा का मार्ग अपनाकर ही मनुष्य जीवन के हर


 संकट को पार कर सकता है गांव के लोगों की आस्था और रमाकांत का सेवा भाव एक मिसाल बन गया वहां का हर इंसान अब शिवजी के आशीर्वाद को समझता और जीवन की कठिनाइयों में डर की बजाय भक्ति और साहस का सहारा लेता रमाकांत की कहानी एक सीख बन गई कि मृत्यु केवल एक यात्रा है और शिवजी का आशीर्वाद पाकर हर डर को प्रेम विश्वास और सेवा से जीता जा सकता है https://www.profitableratecpm.com/z2hkk7q0?key=ca51a7f017b7ea05b508bbc27b7156a8 समय बीतता गया और रमाकांत का शिवालय गांव में भक्ति और सेवा का एक बड़ा केंद्र बन गया वह रोज सुबह मंदिर के आंगन में एक सभा आयोजित करता जहां लोग अपनी समस्याएं और अनुभव साझा करते वहां एक नई उमी और साहस 


की लहर बहती थी एक दिन मंदिर में एक युवा लड़की सविता आई वह डरी सहमी सी थी और उसकी आंखों में अंगन सवाल थे उसने रमाकांत से कहा भैया मैं हमेशा अजीब अजीब सपने देखती हूं जहां एक आवाज मुझे बुलाती है और एक परछाई मेरा पीछा करती है क्या यह भी वही संकेत है उसकी आवाज कांप रही थी मानो वह खुद से लड़ रही हो रमाकांत ने उसे सातवन देते हुए कहा स डर केवल मन का 


भ्रम है भगवान शिव ने जो संकेत दिए हैं वे हमें डराने के लिए नहीं बल्कि समझाने के लिए हैं तुम शिवलिंग के सामने ध्यान लगाओ और अपनी चिंता उन्हें सौंप दो सविता कुछ देर तक शिवलिंग के सामने आंखें बंद कर बैठी रही उसकी भावनाओं का सैलाब मानो शिवजी के चरणों में बह निकला जब वह उठी तो उसकी आंखों में निडरता की चमक थी उसने रमाकांत से कहा अब मैं समझ गई परछा मेरे डर का ही रूप थी और शिवजी ने मुझे इसे हराने की शक्ति दी है रमाकांत ने मुस्कुराते हुए कहा सविता जब भी जीवन में कोई कठिनाई आए उसे अपने डर के रूप में नहीं बल्कि एक संदेश के रूप में देखो शिवजी की भक्ति और सच्चे कर्म ही इस संसार के हर भय से हमें मुक्त कर सकते हैं इस घटना के बाद शिवालय में रमाकांत के पास आने वाले 


भक्तों की संख्या बढ़ने लगी हर व्यक्ति अपनी समस्याओं के समाधान के लिए रमाकांत की शरण में आता और रमाकांत उन्हें भगवान शिव के सच्चे भक्त के रूप में हर समस्या से लड़ने की शक्ति देता एक दिन पंडित रघुनाथ जी ने देखा कि रमाकांत लोगों की मदद करने में खुद को पूरी तरह झोक चुका है पंडित जी ने उसे बुलाकर कहा बेटा सेवा के साथ-साथ खुद का भी ध्यान रखना जरूरी है शिवजी के मार्ग पर चलना तभी सार्थक है जब हम अपने मन और शरीर दोनों का ख्याल रखें रमाकांत ने सिर झुकाकर 


कहा पंडित जी मैंने तो बस शिवजी का आशीर्वाद पाने के लिए यह मार्ग चुना है परंतु अब मैं समझता हूं कि सेवा के साथ-साथ खुद को भी संभालना महत्त्वपूर्ण है उसने खुद को और भी संयमित किया अब वह नियमित रूप से साधना करता ध्यान लगाता और अपनी ऊर्जा को शिवजी की सेवा में लगाता गांव में हर कोई उसे शिवजी का सेवक कहने लगा था वह गांव वालों के दिलों में भक्ति और सेवा की ऐसी अलग जगह रहा था जो कभी नहीं बुझने वाली थी एक दिन रमाकांत को एक साधु बाबा मिले जो दूर-दूर से यात्रा 


करके यहां आए थे उन्होंने रमाकांत को देखा और कहा तूने अपने कर्मों से शिवजी की भक्ति का असली रूप दुनिया को दिखाया है बेटे मृत्यु के संकेतों ने तुझे डराया नहीं बल्कि तेरी आत्मा को जागृत किया यही असली भक्ति है रमाकांत ने विनम्रता से कहा बाबा यह सब शिवजी की कृपा और मेरे गुरु पंडित रघुनाथ जी का मार्गदर्शन है उन्होंने मुझे सिखाया कि मृत्यु के संकेत हमें जीने की कला सिखाने आते हैं बाबा ने आशीर्वाद देते हुए कहा अब तू शिवजी का संदेश इस संसार में फैलाना लोगों को सिखाना कि मृत्यु का भय नहीं बल्कि जीवन की सच्चाई को स्वीकार करना ही असली भक्ति है रमाकांत ने बाबा के आदेश को जीवन का नया उद्देश्य मान लिया अब उसने तय कर लिया कि वह गांव-गांव जाकर लोगों को भगवान शिव के 


चार संकेतों की कहानी सुनाएगा और उन्हें यह समझाएगा कि जीवन और मृत्यु एक ही यात्रा के दो पड़ाव हैं उसने सिखाया कि शिवजी की भक्ति सच्चाई और सेवा से ही इस यात्रा को सार्थक बनाया जा सकता है रमाकांत की यात्रा अब केवल एक गांव तक सीमित नहीं रही बल्कि वह पूरे इलाके में भगवान शिव का संदेश और सेवा का पाठ सिखाने लगा लोगों के दिलों में अब डर की जगह विश्वास भक्ति और साहस का दीप जल चुका था और इस तरह शिवजी के चार संकेतों ने रमाकांत के जीवन को बदलकर उसे एक मिसाल बना दिया वह दिखा गया कि मृत्यु का डर केवल एक भ्रम है जिसे भक्ति और सच्चे कर्मों से हराया जा सकता है रमाकांत का संदेश धीरे-धीरे चारों दिशाओं में फैलने लगा हर गांव हर शहर में लोग उसके शिवालय के बारे में सुनते और उसे देखने आते वह केवल एक व्यक्ति नहीं रहा बल्कि एक प्रेरणा एक आदर्श बन चुका था 



उसका हर शब्द हर कर्म लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ता कुछ सालों बाद रमाकांत की उम्र बढ़ चली उसके बाल सफेद हो गए थे पर चेहरे पर वही संतोष और तेज बना हुआ था पंडित रघुनाथ जी अब वृद्ध हो चुके थे लेकिन उनके चेहरे पर भी एक अलग ही शांति थी उन्होंने एक दिन रमाकांत को बुलाया और कहा बेटा तुमने शिवजी के संदेश को लोगों तक पहुंचाया अब समय आ गया है कि मैं भी अंतिम यात्रा की तैयारी करूं रमाकांत की आंखें नम हो गई गुरुजी आप मेरे लिए शिवजी के समान है आपके बिना मैं कुछ भी नहीं हूं पंडित जी मुस्कुराए यही तो जीवन का चक्र है रमाकांत हम यहां केवल अपने कर्मों का हिस्सा निभाने आते हैं तुमने जो सीखा उसे हमेशा याद रखना अब यह जिम्मेदारी तुम्हारी है कुछ दिनों बाद पंडित रघुनाथ जी ने अपनी अंतिम सांस ली गांव के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और रमाकांत ने शिवलिंग के सामने बैठकर 


यह प्रण लिया कि वह अपने गुरु के आशीर्वाद से इस शिवालय को हमेशा जीवित रखेगा और लोगों की सेवा में लगा रहेगा वर्ष बीतते गए रमाकांत ने शिवजी के संदेश को लेकर गांव-गांव की यात्रा की और लोगों को जीवन और मृत्यु की सच्चाई सिखाई उसने सिखाया कि मृत्यु एक अंत नहीं बल्कि आत्मा का नया सफर है उसकी बातों ने कई जीवनों को बदला और कई लोगों को नया जीवन पद दिखाया अंततः एक दिन रमाकांत शिवलिंग के सामने ध्यान की अवस्था में बैठा था उसकी सांसें धीमी हो रही थी 


लेकिन चेहरे पर अद्भुत शांति और मुस्कान थी जैसे वह शिवजी की कृपा में पूरी तरह से विलीन हो रहा हो उसके चारों और गांव के लोग खड़े थे लेकिन किसी के चेहरे पर शौक नहीं था सभी जानते थे कि रमाकांत ने अपने जीवन को शिवजी की भक्ति और सेवा के माध्यम से जीने का सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त किया था रमाकांत की अंतिम यात्रा किसी शोक सभा की तरह नहीं बल्कि एक महायात्रा की तरह 


संपन्न हुई लोगों ने उसे फूलों और दीपों से सजाया मानो वे भगवान शिव के एक सच्चे भक्त को अंतिम विदाई दे रहे हो रमाकांत की कथा हमेशा के लिए अमर हो गई गांव के लोग उसकी शिक्षाओं को मानते रहे और शिवालय में रमाकांत की प्रतिमा स्थापित कर दी गई जिसे लोग शिवजी का सेवक कहकर पूजने लगे इस तरह शिवजी के चार संकेतों ने केवल रमाकांत के जीवन को ही नहीं बल्कि पूरे गांव को बदल दिया वह साबित कर गया कि मृत्यु एक यात्रा है और सच्चे भक्त का जीवन उस का एक महत्त्वपूर्ण


 पड़ाव शिवजी की कृपा और सच्चे कर्मों से जीवन और मृत्यु दोनों को सार्थक बनाया जा सकता है और इस तरह रमाकांत का जीवन एक अमर प्रेरणा और सच्ची भक्ति की मिसाल बनकर इतिहास में दर्ज हो गया मैं उम्मीद करता हूं आप सभी ने यह कथा यहां तक सुनी होगी ऐसी ही हिंदू धर्म की जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब अवश्य करें और कमेंट में हर हर महादेव लिखना ना भूले धन्यवाद 

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